गठिया
रोग होने का मुख्य कारण शरीर में यूरिक ऐसिड का बढ़ना माना जाता है । इसके कई नाम होते
है अर्थराइटिस, गठिया,
संधिवात आदि । यूरिक एसिड कई कारणों से बढ़ता
है जैसे प्रोटीन युक्त भोजन अधिक मात्रा में करना, खट्टी चीजों को अधिक प्रयोग भी यूरिक एसिड
को बढ़ाता है जैसे बासी मठ्ठे का सेवन, खट्टी दही खाना, नींबू का अधिक मात्रा में प्रयोग । फास्ट फूड भी इसका एक कारण है
। आलसी लोगों को भी यह रोग खूब सताता है । इस रोग में जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन आजाती है । यह कई प्रकार का
होता है एक्यूट, रूमेटाइट,
आस्टियो इत्यादि । यह अधिक्तर घुटनों में,
कुहनियों में, पैर के अंगूठे में, कूल्हों में होता है । रोग पुराना हो जाने पर हड्डियां टेढी मेढ़ी
भी होने लगती हैं ।
1. जोंड़ों पर नारियल के तेल में आधे नींबू का
रस मिला कर मालिश करने से राहत मिलती है । इसे लगाने से पहले जोड़ों को गुनगुने पानी
से धो कर पोंछ ले ।
2. नहाने से पहले एक बाल्टी पानी में दो चम्मच
सरसों का चूरा मिला लें । इस प्रकार नहाते रहने से भी गठिया में आराम मिलता है ।
3. एरंडी के तेल को हल्का सा गरम कर लें और
उसमें मैथी के बीज का आधा चम्मच चूरा मिला कर प्रभावित जोड़ों पर चुपड़ लें मालिश न करें
और फिर ऊनी कपड़े की पट्टी लपेट लें ।
4. लौंग के पत्ते पर देशी घी लगा कर तावे पर
गरम करलें और प्रभावित जोड़ों पर रख कर सूती कपड़े से बांध लें ।
5. जमीन से दो फिट नीचे की मुलायम मिट्टी निकाल
कर छान लें फिर उसे पानी डाल कर गूथ लें । इस मिट्टी को थोड़ा गरम करके प्रभावित जोड़ों
पर इसकी पट्टी लगायें और सूती कपड़े से 30 मिनट के लिये बांध लें । आधा घंटे बाद पट्टी को खोल कर गुनगुने
पानी से जोड़ को धो लें । यह प्रक्रिया कई हफ्ते तक करें । यह नेचुरोपैथी की एक सफल तकनीक
है ।
6. तिल के तेल में खस खस को पीस कर मिला लें
फिर तेल को गरम कर लें । प्रभावित जोड़ों पर इस तेल का लेप लगा कर एरंडी या गुलचीन के
पत्तों को रख कर सूती कपड़े से बांध लें ।
7. निर्गुण्डी इन्द्राणी के पत्तियॉं भी गठिया
में फायदा पहुंचाती हैं । इन पत्तियों को गरम करके जोड़ों पर सूती कपड़े से बांध लें
।
8. सिठौरे के लड्डू अपने आप में बहुत ही ताकतवर
और हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाने वाला चीज है । यह मुख्यतः गांव दिहात में महिलाओं
को प्रसव के बाद खाने के लिये दिया जाता है जिससे शरीर दुबारा शक्ति प्राप्त करता है
। इसमें मुख्य चीज हैं पिसी अलसी, गुड़,
गोंद, सौंठ, हल्दी, तरह तरह के मेवे, देशी धी । जोड़ों के दर्द में अलसी बहुत राहत
पहुंचाती है और इसमें 23
प्रतिशत ओमेगा.3
फेटी एसिडए 20
प्रतिशत प्रोटीनए 27
प्रतिशत फाइबरए लिगनेनए विटामिन बी ग्रुपए सेलेनियमए पोटेशियमए मेगनीशियमए जिंक आदि
होते हैं।
9. इस रोग में पेट का साफ रहना बहुत जरूरी है
। इसलिये मोटा अन्न खाना चाहिये जैसे चोकरयुक्त रोटी, हरी सब्जियॉं में सहजन, ककड़ी, लौकी, तोरई, गाजर इत्यादि । केला, रतालू, मक्का, बाजरा, दलिया, जौ, सूखे आड़़ू भी इस रोग में राहत देते हैं ।
10. एक हरड़ गुड़ के साथ खाने से लाभ होता है
11. एरंड का तेल गिलोय के रस के साथ सुबह शाम
एक चम्मच लेने से फायदा होता है ।
12. रात को सोने से पहले एरंड या जैतून का तेल
चुपड़ कर सूती कपड़ा बांध कर सो जायें । इससे भी दर्द कम हो जाता है ।
13. मेथी गठिया रोग में बहुत लाभदायक होती है
। इसके कई प्रयोग नीचे दिये हैं ।
अ.
50
ग्राम मेथी के दाने रात में 50 ग्राम जौ के साथ पानी में भिगो दें । सवेरे
अंकुरित मेथी जौ के साथ खाने से गठिया रोग में आराम मिलता है ।
ब . मेथी तवे पर लाल होने तक गरम कर लें फिर इसे पीस
ले. यह एक चम्मच सवेरे पानी के साथ लेने से भी गठिया में आराम होता है । यह गठिया
के अलावा शुगर और ब्लड प्रेशर में लाभदायक होती है ।
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